| 1. | हास्य नाटकों में तो भड़ैंती (फार्स) को प्रधान तात्विक गुण ही समझना चाहिए।
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| 2. | गोमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण अधिक मात्रा में होते हैं।
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| 3. | हास्य नाटकों में तो भड़ैंती (फार्स) को प्रधान तात्विक गुण ही समझना चाहिए।
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| 4. | गोमूत्र में पारद और गन्धक के तात्विक गुण अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
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| 5. | उसके अन्य किसी तात्विक गुण का विस्तार किया जाये तो ऐसे में वो उस धातु, पुष्प या
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| 6. | अपराजितो में अपनी पूर्ववर्ती फ़िल्म के तात्विक गुण नहीं हैं, न इसकी संरचना इसे वैसी ही संतोषकारी पूर्ण कृति बना पाती है।
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| 7. | अपराजितो में अपनी पूर्ववर्ती फ़िल्म के तात्विक गुण नहीं हैं, न इसकी संरचना इसे वैसी ही संतोषकारी पूर्ण कृति बना पाती है।
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| 8. | अपराजितो में अपनी पूर्ववर्ती फ़िल्म के तात्विक गुण नहीं हैं, न इसकी संरचना इसे वैसी ही संतोषकारी पूर्ण कृति बना पाती है।
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